सोसायटियों में लोगों को डर है कि विदेश की यात्रा कर लौटने वाले कहीं कोरोना की चपेट में न हो। कई सोसायटियों में ऐसे मामले आए हैं कि विदेश से लौटे लोग जब घर से बाहर निकले तो रेजिडेंट्स ने पुलिस को बुला लिया। जबकि उस व्यक्ति में कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे। सीएमओं डा. एनके गुप्ता ने कहा विदेश से लौटे लोगों के प्रति असामाजिक रवैया कतई न अपनाएं, बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्वक पेश आएं।
सीएमओ का कहना है कि विदेश यात्रा से लौट रहे लोगों को कोरोना के संक्रमण के चलते संदिग्ध की श्रेणी में माना जा रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपके आसपास रहने वाला हर व्यक्ति विदेश यात्रा से लौटा हो तो उसके साथ असामाजिक रवैया अपनाने लगें। सोशल डिस्टेंस बनाकर रखते हुए उसकी मदद भी करें। बीमार होने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर उसकी मदद करें।
हर फ्लू कोरोना नही पर बीमार से बनाकर रखें दूरी
फिजीशियन डा. अंशुल वार्ष्णेय का कहना है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मामूली एहतियात बरतने की जरूरत है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी से मिले तो सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें। बात करते समय कम से कम एक मीटर का फासला रखें। खांसते और छींकते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरतें। डा. वार्ष्णेय ने बताया कि आजकल मौसम बदल रहा है। ऐसे में कई तरह के वायरस सक्रिय हैं, जो फ्लू का कारण बनते हैं। यही वह मौसम है जब सर्दी-खांसी और बुखार के मामले बढ़ते हैं। यदि किसी को सर्दी या खांसी हो तो उसे कोरोना संक्रमित न मानने लगें। हालांकि कोई भी फ्लू होने पर कुछ एहतियात बरतने जरूरी हो जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सोशल डिस्टेंस बनाकर रखना है।