स्मॉग से हृदय, श्वसन तंत्र, लीवर, आँख, गला तथा बाल समेत शरीर के लगभग सभी अंग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। प्रदूषण के कण श्वसनतंत्र के जरिए रक्त में मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनके सिंह ने स्माॅग से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के अनुसारः-
क्या करें:-
1. सुबह के समय सैर पर जाने से बचें। यदि जाना आवश्य हो, तो थोड़ा देर से निकलें तथा खाली पेट सैर के लिए न जाएँ। ओस प्रदूषण की एक परत को खत्म कर देती है, इसलिए ओस पड़ने के बाद ही टहलने के लिए जाएँ। सुबह टहलने के दौरान मास्क का प्रयोग अवश्य करें अथवा स्वच्छ रुमाल या कपड़ा भी बाँध सकते हैं। जिससे प्रदूषण के कण को श्वसन के जरिए शरीर में पहँुचने से रोका जा सके।
2. व्यायाम घर पर ही करें। यदि बाहर जाना पड़े तो चेहरे पर स्वच्छ कपड़ा या रुमाल बाँधकर ही निकलें।
3. घर के आस-पास यदि धूल उड़ रही हो तो पानी का छिड़काव करें। कार्य स्थल एवं घरों में एअर प्योरिफायर पौधों जैसे मनी प्लांट व तुलसी आदि को अवश्य लगाएँ।
4. प्रदूषित हवा से आँखों में जलन की समस्या हो सकती है, इसलिए बाहर से घर लौटते ही आँखों को ठण्डे पानी से धोएँ।
5. दमा, सांस संबंधी मरीजों एवं छोटे बच्चों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। इसी क्रम में शैक्षणिक संस्थानों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि यदि किसी बच्चे अथवा शिक्षक/शिक्षिका आदि के आँखों व त्वचा में जलन अथवा श्वांस लेने में परेशानी हो, तो तत्काल प्राथमिक उपचार देते हुए अभिभावकों/परिजनों से संपर्क करें तथा बिना देरी किए उपचार सुनिश्चित करें। शैक्षणिक संस्थान से वापस आने के बाद बच्चों को पानी से आँख धुलना चाहिए। इसके अलावा खान-पान में सुधार करें। हैल्दी खुराक लें और खूब पानी पिएँ।
क्या न करेंः-
1. अपने घरों के आस-पास न कूड़ा जलाएँ, न जलाने देें।
2. यथासंभव सुबह स्माॅग वाली जगहों पर जाने से बचें।
3. वरिष्ठ नागरिक, छोटे स्कूली बच्चे एवं गर्भवती महिलाएँ सुबह घर से बाहर अनावश्यक रूप से न निकलें तथा धूल भरे स्थानों पर जाने से बचें।
4. स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्र-छात्राओं को स्माॅग के दौरान खुले स्थान पर गतिविधि कराने से बचें।
5. निर्माणाधीन स्थलों पर निर्माण सामग्री (रेत, सीमेंट, बदरपुर आदि) खुला न छोड़ें।
6. यथासंभव सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान न करें, न करने दें।